मध्यप्रदेश
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यूरोप में महका मप्र का महुआ, महुआ चाय, महुआ पावडर, महुआ स्नेक्स का स्वाद भा गया

मध्यप्रदेश का महुआ अब यूरोप के नागरिकों में एथनिक फ़ूड के रूप में पहचान बना रहा है। यूरोप के फ़ूड मार्केट में महुआ से बने खाद्य पदार्थ दिखने लगे हैं और पसंद किए जा रहे हैं।यूके की लंदन स्थित कंपनी ओ-फारेस्ट ने महुआ के कई प्रोडक्ट बाजार में उतारे हैँ। इनमें मुख्य रूप से महुआ चाय, महुआ पावडर, महुआ निब-भुना महुआ मुख्य रूप से पसंद किये जा रहे हैं। ओ-फारेस्ट ने मध्यप्रदेश से 200 टन महुआ खरीदने का समझौता किया है। इससे महुआ बीनने वाले जनजातीय परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा।महुआ जनजातीय समाज के लिए अमृत फल है। महुआ लड्डू और महुआ से बनी देशी हेरिटेज मदिरा उनके पारम्परिक व्यंजन हैं। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने देश में सबसे पहले महुआ और अन्य वनोपजों का समर्थन मूल्य घोषित किया था। इससे महुआ बीनने वाले जनजातीय परिवारों को बिचौलियों से मुक्ति मिल गई है। उन्हें बाजार में भी अच्छे दाम मिलने लगे हैं। महुआ अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जाने से महुआ बीनने वाले जनजातीय परिवारों को अच्छी कीमत मिलेगी। महुआ का समर्थन मूल्य 35 रूपये किलो है। यूरोप में महुआ की खपत होने से उन्हें 100 से 110 रूपये प्रति किलो का मूल्य मिलेगा।महुआ-समृद्ध प्रदेशप्रदेश में महुआ बहुतायत में होता है। एक मौसम में करीब 7 लाख 55 हजार क्विंटल तक मिल जाता है। पूरी तरह महुआ फूल से लदा एक पेड़ 100 किलो तक महुआ देता है। करीब 3 लाख 77 हजार परिवार महुआ बीनकर अपना घर-परिवार चलाते हैं। एक परिवार कम से कम तीन पेड़ों से महुआ बीनता है। साल में औसतन दो क्विंटल तक महुआ बीन लेता है। कुल महुआ संग्रहण का 50 प्रतिशत उमरिया, अलीराजपुर, सीधी, सिंगरौली, डिण्डौरी, मण्डला, शहडोल और बैतूल जिलों से होता है। मुख्यमंत्री श्री चौहान के निर्देश पर महुआ संग्राहकों को कई सुविधाएं दी गई हैं।ओ-फारेस्ट कंपनी की सह–संस्थापक सुश्री मीरा शाह बताती हैं कि महुआ फल प्रकृति का उपहार है। मध्यप्रदेश सरकार के साथ काम करते हुए हमें बेहद खुशी है कि हमें महुआ फल की उपज को उत्सव की तरह मनाने और जनजातीय संस्कृति में इसका संरक्षण करने का अवसर मिला।वे कहती हैं कि समर्थन मूल्य पर महुआ फूल की खरीदी सरकार का एक बड़ा कदम है। इससे खादय पदार्थ के रूप में महुआ का महत्व बढ़ेगा और इसकी पहुँच बड़े बाजारों तक होगी। महुआ बीनने वाले परिवारों की आमदनी बढ़ेगी और वे महुआ पेड़ों को सहेजने के लिए प्रेरित होंगे। वे कहती हैं कि वैज्ञानिक रूप से एकत्र महुआ फूल का मूल्य कई गुना बढ़ जाता है।यूरोप के बाजार में महुआ से बने खादय पदार्थों की बढ़ती पसंद के बारे में पूछने पर सुश्री मीरा शाह बताती हैं कि लाखों लोग एक देश से दूसरे देश आते-जाते हैं। वे अन्य देशों की खान-पान संस्कृति से भी परिचित होना चाहते हैं। इस प्रकार मध्यप्रदेश के महुआ से बने खादय पदार्थों के प्रति रूचि बढ़ रही है। वे कहती हैं कि यूके में जनसंख्या की विविधता है इसलिए दुनिया के हर देश का व्यंजन और खादय पदार्थ यहाँ मिल जाता है।हेरिटेज वाइनमहुआ फूल से बनी मदिरा को हेरिटेज वाइन के रूप में प्रस्तुत करने के लिए राज्य सरकार ने नीति बनाई है। जनजातीय क्षेत्र के स्व-सहायता समूहों को ही इसे बनाने का लाइसेंस दिया जायेगा। हर स्व-सहायता समूह अपने उत्पाद का अलग नाम रख सकता है। जिले में एक से अधिक स्व-सहायता समूहों को भी लाइसेंस मिल सकता है। स्व-सहायता समूहों के सदस्यों में कम से कम 50 प्रतिशत महिला सदस्य होना चाहिए।

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Manish Tiwari

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