मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यहाँ शासकीय हमीदिया कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय भोपाल की स्थापना के 75 वर्ष पूर्ण होने पर अमृत महोत्सव 2023 में महाविद्यालय का अत्याधुनिक विशाल सर्व सुविधायुक्त भवन बनाने और विदयार्थियों की आवश्यकता के अनुसार नए संकाय खोलने की घोषणा की। श्री चौहान ने कहा कि भवन निर्माण के स्थान के निर्धारण के बाद एप्रोच रोड और अन्य कार्य भी किए जाएंगे। पूर्व और वर्तमान विद्यार्थियों के सुझावों पर जरूरी कदम उठाएंगे और कलेक्टर भोपाल, उच्च शिक्षा विभाग और संबंधित विभागों से समन्वय कर इन कार्यों को पूरा कराया जायेगा।मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अमृत महोत्सव 2023 को संबोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी के समक्ष यह विकल्प होता है कि वह या तो सामान्य जीवन जिये या देश और समाज के लिए बेहतर कार्य कर महान बनने का प्रयास करे। औरों के लिए जीना उपयोगी जीवन है। जीता वही है जो देश और समाज के लिए जीता है। स्वामी विवेकानंद ने यही प्रेरणा दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज सीनियर होने के नाते अपने जूनियर्स को यही संदेश देना चाहता हूँ कि जीवन में कुछ बड़ा और बेहतर करने की सोचें।उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री चौहान स्वयं इस महाविद्यालय के विद्यार्थी रहे हैं। मुख्यमंत्री ने महाविद्यालय परिसर में स्थापित स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा का लोकार्पण भी किया।विद्यार्थी जीवन की यादों में खो गए मुख्यमंत्रीमुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कॉलेज में सभी प्रेम से मिलते हैं। आज इस महाविद्यालय के परिसर में आकर अनेक यादें ताजा हो रही हैं। ऐसा लगता है दौड़ कर जाएं और दोस्तों से गले लग जाएं। श्री चौहान ने बताया वे साइकिल से कॉलेज जाते थे। पहले सेफिया कॉलेज जाते थे बाद में हमीदिया। इस महाविद्यालय से अनेक हस्तियां निकली हैं, जिनमें भारत के राष्ट्रपति रहे डॉ. शंकर दयाल शर्मा भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने डॉ. शर्मा को श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए कहा कि इस महाविद्यालय से श्री बाबूलाल गौर, श्री कैलाश सारंग, श्री लक्ष्मीनारायण शर्मा, श्रीमती नजमा हेपतुल्ला, श्री के.एन. प्रधान, श्री ओ.एन. श्रीवास्तव, जस्टिस फैजानुद्दीन, श्री हसनात सिद्दीकी जैसी हस्तियां पढ़कर निकली।साथियों की फरमाइश पर सुनाया गीतमुख्यमंत्री श्री चौहान ने संबोधन के प्रारंभ में गीत भी सुनाया “अहसान मेरे दिल पर तुम्हारा है दोस्तों, ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तों…। मुख्यमंत्री चौहान ने पूर्व विद्यार्थियों और साथियों की फरमाइश पर – “नदिया चले, चले रे धारा, तुझको चलना होगा…” गीत भी सुनाया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने उन्हें भेंट किया गया वर्ष 1978 का फोटो भी देखा और यादें ताजा कीं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने श्री रमेश शर्मा “गुट्टू भैया” को भी याद किया। न्यू मार्केट में समता चौक और लिटिल कॉफी हाउस में मित्रों के साथ मिलने-जुलने और चर्चा के दौर चलते थे।विवेकाननंद जी मेरे आदर्शमुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हमारा जीवन देश और समाज के लिए उपयोगी होना चाहिए। विवेकानंद जी की ये पंक्तियां विद्यार्थियों को याद रखना चाहिए। स्वामी विवेकानंद के अमृत वचनों को दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मनुष्य के लिए कोई कार्य असंभव नहीं। वह सब कार्य कर सकता है जो ठान लेता है।साथियों को किया याद, कहा विद्यार्थियों का अनौपचारिक कार्यक्रम होगामुख्यमंत्री श्री चौहान ने महाविद्यालय के साथियों का बार-बार स्मरण किया। इनमें छात्र संघ अध्यक्ष रहे श्री प्रेम ढींगरा, महाविद्यालय की जन-भागीदारी समिति के वर्तमान अध्यक्ष श्री देवेन्द्र रावत, श्री महेन्द्र सिंह बुंदेला, श्री छोटा बाबू राय, श्री सुरजीत सिंह चौहान और अनेक साथियों का उल्लेख शामिल है। इनमें से अनेक आज के महोत्सव में उपस्थित थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि महाविद्यालय के पूर्व और वर्तमान विद्यार्थियों के साथ शीघ्र एक अनौपचारिक कार्यक्रम भी करेंगे। यह इस माह या फिर सितंबर में होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अतिथि विद्वानों के संबंध में चर्चा के बाद निर्णय लिया जाएगा।पुस्तकालय भवन का लोकार्पण, कम्प्यूटर लैब का शुभारंभमुख्यमंत्री श्री चौहान ने महाविद्यालय परिसर पहुँचते ही एनसीसी और एनएसएस के विद्यार्थियों से भेंट की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कैडेट्स की गतिविधियों की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने महाविद्यालय की कंप्यूटर लैब का शुभारंभ, परिसर में रुद्राक्ष के पौधे का रोपण और पुस्तकालय भवन का लोकार्पण किया। पुस्तकालय भवन विश्व बैंक परियोजना में निर्मित किया गया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने महाविद्यालय परिसर में व्यायामशाला का भी निरीक्षण किया। महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने लोक नृत्य प्रस्तुत कर नर्तक की भूमिका में पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ मुख्यमंत्री का स्वागत किया।पहले बैच के पहले विद्यार्थी देवी शरणजी का किया स्वागतमुख्यमंत्री श्री चौहान ने कालेज के प्रथम बैच वर्ष 1946 के विद्यार्थी रहे, सेवानिवृत्त अधिकारी श्री देवी शरण सक्सेना जी का पुष्पहार से स्वागत किया। उन्होंने महाविद्यालय के अमृत महोत्सव पर केन्द्रित स्मारिका का विमोचन किया। मुख्यमंत्री को स्मृति-चिन्ह भेंट किया गया। प्राचार्य श्रीमती पुष्पलता चौकसे ने स्वागत उद्बोधन दिया। अमृत महोत्सव में मुख्यमंत्री के साथ सांसद सुश्री प्रज्ञा सिंह ठाकुर, चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास कैलाश सारंग, महापौर श्रीमती मालती राय, नगर निगम अध्यक्ष श्री किशन सूर्यवंशी सहित, श्री तपन भौमिक, पूर्व सांसद श्री आलोक संजर और अनेक पूर्व विद्यार्थी उपस्थित थे।पहले बैच के पहले विद्यार्थी देवी शरणजी का किया स्वागतमुख्यमंत्री श्री चौहान ने कालेज के प्रथम बैच वर्ष 1946 के विद्यार्थी रहे, सेवानिवृत्त अधिकारी श्री देवी शरण सक्सेना जी का पुष्पहार से स्वागत किया। उन्होंने महाविद्यालय के अमृत महोत्सव पर केन्द्रित स्मारिका का विमोचन किया। मुख्यमंत्री को स्मृति-चिन्ह भेंट किया गया। प्राचार्य श्रीमती पुष्पलता चौकसे ने स्वागत उद्बोधन दिया। अमृत महोत्सव में मुख्यमंत्री के साथ सांसद सुश्री प्रज्ञा सिंह ठाकुर, चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास कैलाश सारंग, महापौर श्रीमती मालती राय, नगर निगम अध्यक्ष श्री किशन सूर्यवंशी सहित, श्री तपन भौमिक, पूर्व सांसद श्री आलोक संजर और अनेक पूर्व विद्यार्थी उपस्थित थे।श्री वी.डी. शर्मा ने कहा कि महाविद्यालय ने मुख्यमंत्री श्री चौहान का निर्माण किया है। संस्था को ऐसे कुशल नेतृत्व को तैयार करने का श्रेय जाता है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री श्री चेतन सुखाड़िया ने कहा कि स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का महाविद्यालय परिसर में लोकार्पण हुआ है। स्वामी विवेकानंद जी ने शिकागो में भारत के ज्ञान केन्द्र होने और विश्व गुरु होने का प्रमाण प्रस्तुत किया था। शिक्षा पद्धति पर भावी पीढ़ी तैयार करने का दायित्व होता है। आज विद्यार्थियों को शिक्षा के माध्यम से अपनी सभ्यता, संस्कृति, अपने राष्ट्र और राष्ट्र की माटी से जोड़ने के प्रयास हो रहे हैं। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व विद्यार्थी रहे श्री भरत चतुर्वेदी ने कहा कि महाविद्यालय वर्ष 1964 से 1975 की अवधि में छात्र आंदोलनों के स्वर्ण युग का साक्षी है। श्री मनोहर पाठक, श्री दीपचंद यादव जैसे सक्रिय कार्यकर्ता इस महाविद्यालय के विद्यार्थी रहे। महाविद्यालय को महारानी लक्ष्मीबाई कन्या महाविद्यालय के भवन से परस्पर स्थानांतरित करने की मांग भी काफी पुरानी थी, जो मुख्यमंत्री श्री चौहान के मुख्यमंत्री बनने के बाद ही पूरी हो सकी।
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